जस्टिस चौहान जी को हमारे अधिवक्ता अमित भदौरिया जी द्वारा बेसिक शिक्षा और उसकी पात्रता तथा आवश्यकता को ब्रीफ किया गया, सभी बेसिक पहलुओं को समझने के बाद जज साहब ने खुली बहस का निर्देश दिया, जबकि सरकारी वकील द्वारा आज भी समय मांगा जा रहा था, जज साहब द्वारा नैतिकता के आधार पर मात्र 10 मिनट का समय दिया गया।
तत्पश्चात भदौरिया साहब द्वारा पीएनपी से जारी उत्तरकुंजी जो लगातार विवादित रही है, उस पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया गया? कहा गया कि एक बार आपने कैनन सही माना और एक बार क्रेशमर उसी जगह आपके एक्सपर्ट कमेटी ने इस प्रश्न को ही गलत ठहरा दिया। जब आप अपने ही बात पर फँस गए तो आपने उस प्रश्न को स्टार करार दे दिया। अब तक 1 घण्टे की बहस हो चुकी थी।
अगला प्रश्न हिंदी भाषा की बोलियाँ आया, जिसमे भदौरिया साहब द्वारा बोलियों की संख्या 17,18,19,22 सभी को चार मूल पुस्तकों के आधार पर प्रूफ कर दिया गया। कि चारों विकल्प सही हैं। जस्टिस चौहान जी ने कहा ठीक है! मैं समझ गया असल समस्या क्या है?
अब बात आई आउट ऑफ सिलेबस की जज साहब ने कहा आप कैसे कह रहे हैं, पर्यावरण में ये प्रश्न नही पूछे जा सकते, तब भदौरिया साहब द्वारा एनसीटीई की गाइडलाइन का जिक्र किया गया और बताया गया आज तक केंद्रीय पात्रता परीक्षा में ऐसे प्रश्न नही पूछे गए। इसी क्रम में 2011 का वह फैसला भी कोर्ट को बुलंद आवाज में पढ़कर सुनाया गया, जिसमें अभ्यर्थियों को सेम कन्डीशन में रिलीफ दी गयी थी। सरकार के महाधिवक्ता ने समय सीमा की बाध्यता को याद दिलाया, क्योंकि 4 बज चुके थे और वो कल प्रेजेंट होने की बात कह कर चलते बने, बहस अभी भी जारी रही।
क्योंकि जज साहब ने कहा आज आपको सुन लेते हैं, कल विपक्ष को, इसी बीच अधिवक्ता त्रिपाठी जी ने कोर्ट को बताया कि माय लॉर्ड एनसीटीई की गाइडलाइन में साफ तौर पर कहा गया है कि भाषा विषय पर 15 अंक का पैराग्राफ आना नियम है, जिसका पालन नही किया गया, जबकि नूतन ठाकुर बनाम राज्य द्वारा योजित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय द्वारा टेट परीक्षा को एनसीटीई नियमावली के आधार पर कराने का साफ निर्देश दिया जा चुका है। जबकि इसका पालन नही किया गया, जो साफ़ दर्शाता है, कि आप स्वयं को डिक्टेटर मान चुके है। जो इस लोकतंन्त्र मे न कभी हुआ है न कभी होगा?
आज सरकारी वकील को बोलने का मौका नही मिला, जजसाहब ने कहा इस केस के लिए मुझे नॉमिनेटेड किया गया है, इसलिए कल कांटीन्यू करूँगा, रही बात फैसले की तो मुझे सन्तुष्ट हो लेने दीजिये, 5 के पहले निर्णय करूँगा नही तो लिखित परीक्षा पोस्टपोन कर देंगे।
जीत हमारी ही होगी,क्यों कि। *"लगा के लाल लंबिताम, भुजंग देह वज्र है"*
*आकाश पटेल-
उन्नाव 9451683646 बीटीसी 2014 (टीम मेम्बर टेट याचिका लखनऊ उच्च न्यायालय)*
*अरूण यादव-7388999000*
*कुलदीप वर्मा-9451314507*
टेट याचिका ग्राउंड रिपोर्ट लखनऊ उच्च न्यायालय:-2nd
Reviewed by Ravi kumaR
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