Environmental Education Class 6

प्रदूषण जनित गंभीर समस्याएं

1. हरितगृह प्रभाव या ग्रीन हाउस इफेक्ट
-हरितगृह एक कांच का बना घर होता है एवं यह पहाड़ी व ठंडे क्षेत्रों में वनस्पति उगाने के लिए प्रयुक्त होता है ।
-हरितगृह में कांच की बनी दीवारें होती है जो प्रकाश को तो अंदर आने देती हैं लेकिन ऊष्मा को बाहर निकलने नहीं देती ।
-इस कारण हरितगृह गर्म  रह पाते हैं और वनस्पति को उगने के लिए अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है ।
-पृथ्वी के परिदृश्य में वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड की परत कांच की दीवारों का कार्य करती है ।
                                    अर्थात
-सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर आकर पृथ्वी के वातावरण को गर्म तो कर देता है मगर कार्बन डाई ऑक्साइड की परत के कारण वह गर्मी पृथ्वी के वातावरण में ही मौजूद रह जाती है ।
 प्रमुख हरितगृह गैसें एवं उनका प्रतिशत :
कार्बन डाइऑक्साइड 60 %
मेथेन 20%
क्लोरोफ्लोरोकार्बन 14%
नाइट्रस ऑक्साइड 6%

2. ग्लोबल वार्मिंग या पृथ्वी उष्मायन या भूमंडली ऊष्मायन

-ग्रीन हाउस गैसों की बढ़ती अधिकता इसका सबसे बड़ा कारण है कि पृथ्वी का तापमान निरंतर बढ़ता जा रहा है ।
-पृथ्वी के बढ़ते तापमान का सार्वधिक एवं सबसे बुरा प्रभाव ध्रुवों पर पड़ेगा, वहां मौजूद बर्फ के पिघलने से समुद्री जलस्तर बढ़ने की आशंका है जिससे बाढ़ एवं सुनामी जैसे खतरे भविष्य में  जन्म लेंगे ।
-बढ़ते तापमान के कारण  पर्यावरण में मौजूद जैव विविधता में भी कमी आई है ।

3. अम्लीय वर्षा
-पेट्रोल डीजल व अन्य जीवाश्म ईंधन के जलने से विभिन्न प्रकार के नाइट्रोजन और सल्फर के आक्साइड उत्पन्न होते हैं ।
-यह ऑक्साइड पर्यावरण में मौजूद जल की बूंद बूंद से किया कर के विभिन्न अम्लों में परिवर्तित हो जाते हैं जैसे कि  सल्फ्यूरिक अम्ल, नाइट्रिक अम्ल एवं  कार्बनिक अम्ल इत्यादि
-अम्लीय वर्षा का सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव वनस्पतियों पर देखने को मिलता है ।
-अम्लीय वर्षा के कारण नदी तालाब झरने झील इत्यादि पानी के स्रोतों की अमृता बढ़ जाती है और इस कारण जलीय जीवन प्रभावित होता है ।
-ऐतिहासिक धरोहरें  जैसे की प्राचीन इमारतें, किले एवं  मंदिर-मस्जिद  वगैरह को भी अम्लीय वर्षा से क्षति पहुंचती है, ताजमहल इसका एक उदाहरण है ।
-अम्लीय वर्षा के कारण मृदा भी प्रदूषित होती है

4. ओजोन क्षेत्र अथवा ओजोन परत का क्षरण
-ओजोन परत परत पृथ्वी के वातावरण की stratosphere लेयर में पाई जाती है ।
-पृथ्वी के धरातल से लगभग 50 किलोमीटर ऊपर स्थित होती है ।
-ओजोन परत का महत्व पूर्ण कार्य पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी के धरातल तक आने से रोकना है।
-सर्वप्रथम अंटार्टिका के ऊपर ओजोन की सबसे पतली परत खोजी गई इसे ही  ओजोन छिद्र  कहा गया ।
-ओजोन परत में छेद क्लोरीन के परमाणुओं के कारण होता है ।
-क्लोरोफ्लोरोकार्बन विघटन के बाद क्लोरीन उत्पन्न करते हैं जो ओजोन बनने की प्रक्रिया को बाधित करता है ।
-रेफ्रिजरेटर एयर कंडीशनर  फोम  एवं एरोसाल संबंधित उद्योगों में freon नामक क्लोरोफ्लोरोकार्बन का प्रयोग होता है जो कि पर्यावरण के लिए बेहद घातक है ।

-ओजोन परत के अभाव में पराबैगनी किरणें सीधे हम तक पहुंचेंगी जिसके कारण त्वचा का कैंसर नेत्र रोग एवं उत्परिवर्तन जैसे विकार हो सकते हैं ।

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