Environmental Education Class 4

भोजन
-हम भोजन ऐसे पदार्थ को कहते हैं, जिसे ग्रहण करने पर हमें पोषण की प्राप्ति होती है
-भोजन द्वारा हमारे शरीर की वृद्धि होती है, यह कार्य करता है एवं किसी भी प्रकार की क्षति पूर्ति होती है

-भोजन खाने योग्य पदार्थों का ऐसा समुह है, जो जीवित प्राणियों को उर्जा प्रदान करता है और उन्हें पुराने उत्तको की मरम्म्त तथा नए उत्तकों के निर्माण की शक्ति प्रदान करता है
-भोजन कई अवयवों का योग होता है, जिनसे जीव को पोषण प्राप्त होता है, भोजन के कुछ प्रमुख अवयव निम्न है:
 कार्बोहायड्रेट, प्रोटीन, वसा, जल, खनिज लवण, एवं विटामिन 

 कार्बोहायड्रेट
-कार्बोहाइड्रेट हमारे लिए उर्जा का मुख्य स्रोत है एवं ऊर्जा की प्राप्ति सबसे तेज हमें कार्बोहाइड्रेट से ही होती है ।
-1 ग्राम कार्बोहाइड्रेट के आक्सीकरण से 17 किलो जूल उर्जा या 4.1 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है ।
-हमारे द्वारा ग्रहण किए गए भोजन में से सबसे ज्यादा 60% से 80% ऊर्जा कार्बोहाइड्रेट से ही प्राप्त होती है ।

-फलों में फ्रक्टोज नामक शर्करा पाई जाती है और यह सबसे ज्यादा मीठी होती है ।
-हमारे शरीर का 1% भाग कार्बोहाइड्रेट्स का ही बना होता है ।
-कार्बोहाइड्रेट के मुख्य स्रोत हैं, फल, अनाज एवं दूध इत्यादि ।
-हमारा शरीर ग्लूकोज को ग्लाइकोजन में परिवर्तित करके यकृत में संग्रहित रखता है ।
-कार्बोहाइड्रेट की कमी से हाइपोग्लाइसीमिया और कीटोसिस जैसे रोग हो जाते हैं और अधिकता से मधुमेह जैसे रोग हो सकते हैं ।
वसा
-कार्बोहाइड्रेट के बाद वसा दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व है ।
-इससे हमें सबसे ज्यादा ऊर्जा प्राप्त होती है ।
-1 ग्राम वसा के ऑक्सीकरण द्वारा 37 किलो जूल ऊर्जा प्राप्त होती है ।
-जंतुओं में पाई जाने वाली वसा अर्ध ठोस होती है परंतु वनस्पतियों में पाए जाने वाली वसाएं तरल रूप में होती है जो कि तेल कहलाती हैं ।
-जल में वसा घुलनशील नहीं होती, परंतु यह एसीटोन, बेंजीन एवं अल्कोहल इत्यादि में घुलनशील होती है ।
-वसा की कमी से शरीर में विभिन्न रोग हो सकते हैं, जैसे कि विटामिनों के अवशोषण में कमी, अत्यधिक कोलेस्ट्राल का बढ़ना, डिप्रेशन एवं शारीरिक कमजोरी इत्यादि ।

-वसा की अधिकता से भी रोग होने की संभावना होती है, जैसे कि मोटापा, उच्च रक्तचाप और विभिन्नता ह्रदय संबंधी रोग इत्यादि ।

 प्रोटीन
-प्रोटीन एक शरीर निर्माण संबंधित पोषक तत्व है ।
-प्रोटीन के जरिए हमारे शरीर को विभिन्न जरूरी अमीनो अम्ल भी प्राप्त होते हैं ।
-प्रोटीन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जे. बर्जिलियस ने सन् 1930 में किया था ।
-प्रोटीन के माध्यम से 20 प्रकार के अमीनो एसिड हमारे शरीर को प्राप्त होते हैं ।
-प्रोटीन के मुख्य स्रोत दालें, मांस, मछली, अंडा, दूध, फल, सोयाबीन, पनीर, दही एवं सब्जियां                इत्यादि हैं ।
-प्रोटीन की कमी से मानव में मरासमस एवं क्वाशिरकोर जैसे रोग उत्पन्न होते है ।
-प्रोटीन की अधिकता भी नुकसान देय हो सकती है, अधिक उम्र के लोगों में प्रोटीन की अधिकता से विभिन्न समस्याएं हो सकती हैं ।
 विटामिन
-विटामिन शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फंक ने किया था ।
-विटामिन ए डी इ व् के वासा में घुलन शील होते है ।
-विटामिन बी व सी जल में घुलनशील हैं ।
-विटामिन ए का वैज्ञानिक नाम रेटीनॉल है एवं इसकी कमी से रतौंधी नामक रोग होता है ।

-विटामिन बी2 का वैज्ञानिक नाम राइबोफ्लेविन एवं विटामिन बी3 का वैज्ञानिक नाम नियासिन है।   
-विटामिन बी की कमी से बेरी बेरी नामक रोग होता है ।
-विटामिन सी का वैज्ञानिक नाम एस्कार्बिक एसिड है एवं इसकी कमी से स्कर्वी नामक रोग होता है ।
-विटामिन डी का वैज्ञानिक नाम कैल्सीफेरॉल है और इसकी कमी से रिकेट्स नामक रोग होता है।
 खनिज लवण
-तुम्हारे शरीर के लिए  महत्वपूर्ण 5 खनिज लवण क्रमश: कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सोडियम एवं पोटेशियम है ।
-इन खनिज लवणों की आवश्यकता अधिक मात्रा में रहती है ।
-उपरोक्त के अलावा क्रोमियम तांबा, आयोडीन, लोहा, मैगनीज, और जस्ता इत्यादि भी सूक्ष्म मात्रा में आवश्यक होते हैं ।
-आयोडीन की प्राप्ति हमें नमक से होती है और इसकी कमी से घेंघा नामक रोग होता है ।
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