वंशानुक्रम:
- वंशानुक्रम माता-पिता से उनकी संतान में दैहिक और मनोगुणों/लक्षणों का संप्रेषण है- जेम्स ड्रेवर
- अपने माता-पिता के माध्यम से पैत्रक कोष का प्राप्तांक वंशानुक्रम है- एच. ए. पेटरसन
- वंशानुक्रम जन्म से 9 माह पूर्व निषेचन के समय व्यक्ति में उपस्थित सभी घटकों को सम्मिलित करना है और यह प्रक्रिया जन्म के 9 माह पूर्व से प्रारंभ हो जाती है- आर. एस. वुडवर्थ
- व्यक्ति के अनुवांशिकता में माता पिता तथा अन्य पूर्वज या जाति से आने वाली विशेषताएँ जैसे कि सरंचना, शारीरिक लक्षण व कार्य क्षमता इत्यादि सम्मिलित होते हैं- ओ. बी. डगलस तथा बी. एफ. हालैंड
- वंशानुक्रम माता-पिता से उनकी संतान में गुणों का प्रेषण है- रुथ बैन्डिक्ट
- वंशानुक्रम मुख्यतः अनुवर्ती पीढ़ियों के बीच अनुवांशिक संबंध को दर्शाने वाला सहज शब्द है- जे. ए. थामसन
- प्रकृति के सृजन का प्रत्येक कार्य माता-पिता से बच्चों को जैविक या मनोवैज्ञानिक कतिपय लक्षणों का प्रेक्षण करने का है, लक्षणों की इस तरह जटिलता को वंशानुक्रम कहा जाता है- पी. जिस्बर्ट
- वंशानुक्रम व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है- बी. एन. झा
वंशानुक्रम के प्रमुख सिद्धांत-
गाल्टन का जीव सांख्यकीय सिद्धांत:जनसंख्या स्थिरता के मॉडल के परिणामस्वरूप गैल्टन ने पैतृक आनुवंशिकता के नियम का निर्माण किया। यह नियम, जो Natural Inheritance में प्रकाशित हुआ था, कहता है कि एक संतान के दो माता-पिता संयुक्त रूप से एक वंश की विरासत में से एक आधा योगदान करते हैं, जबकि अन्य, पूर्वजों की विरासत का एक छोटा सा हिस्सा होते है।
बीज मैन का बीज कोष की निरंतरता का सिद्धांत:
इन्होंने कहा था कि बदलाव दो प्रकार के होते हैं, कुछ जन्मजात यानी, जीव उनके साथ पैदा होते हैं और दूसरे जिन्हें पौधे या जानवर जीवनकाल के दौरान अधिग्रहित किया जाता है। उन्होंने धीरे-धीरे अपनी थ्योरी ऑफ जर्मप्लाज्म विकसित किया ताकि यह समझाया जा सके कि दुसरे प्रकार के बदलावों को विरासत में अर्जित नहीं किया जा सकता।
मेंडल का वंशानुक्रम का सिद्धांत:
मेंडेलियन वंशानुक्रम के सिद्धांत सर्वप्रथम उन्नीसवीं शताब्दी के मोरावियन भिक्षु ग्रेगोर जोहान मेंडेल द्वारा दिए गए थे, जिन्होंने अपने मठ के बगीचे में लगाए गए मटर पौधों के साथ सरल संकरण प्रयोगों के संचालन के बाद अपने विचार तैयार किए थे।मेंडेल ने कुछ 5,000 मटर पौधों की खेती और परीक्षण किया। इन प्रयोगों से, उन्होंने दो सामान्यीकरणों को प्रेरित किया, जिन्हें मेंडल के वंशानुक्रम के सिद्धांतो के तौर पर जाना जाता है।
विकासवाद का सिद्धांत:
प्राकृतिक चयन द्वारा विकास का सिद्धांत पहली बार 1859 में डार्विन की पुस्तक "ऑन द ऑरिजन ऑफ प्रजाति" में दिया गया था, वह प्रक्रिया है जिसमें शारीरिक या व्यवहार संबंधी लक्षणों के परिणामस्वरूप जीव में समय के साथ परिवर्तन आते हैं। ये परिवर्तन जीव को पर्यावरण के अनुकूल बनने की क्षमता देते हैं और साथ में वंशवृद्धि और जीवित रहने में मदद करते हैं।
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वंशानुक्रम और शिक्षण/heredity
Reviewed by Ravi kumaR
on
18:53:00
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