UPTET Special Question- 1 हिन्दी

निर्देश (प्र.सं. 91-96) निम्नलिखित प्रश्नो के उत्तर देने के लिए सही/ सबसे उपयुक्त विकल्प चुनकर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिये -

जीवन के इस मोड़ पर
कुछ भी कहा जाता नहीं।
अधरों की ड्योढ़ी पर
शब्दों के पहरे है।
हँसने को हँसते है
जीने को जीते हैं
साधन-सुभीतों ममें
ज्यादा ही रीते है।
बाहर से हरे- भरे
भीतर घाव मगर गहरे
सबके लिए गूँगे है
अपने लिए बहरे हैं।


91.  " कुछ भी कहा जाता नहीं " - ऐसा क्यों ?
क.  साधन सुविधाओं के अभाव के कारण
ख.  बन्धन और बेबसी के कारण
ग. घूँगा होने के कारण
घ.  भीतर के घावों के कारण
उत्तर - ख ( बन्धन और बेबसी के कारण कुछ बी नहीं कहा जा रहा है। )

92.  कविता की पंक्तियों में मुख्यत: बात की गई है
क.  कुछ बी न कह पाने की विश्वता की
ख.  घावों के हरे-भरे होने की
ग.  गूँगा-बहरा होने की
घ.  साधन-सुभीतों की
उत्तर - क ( दी गई पंक्तियों में मुख्यत: कुछ भी न कह पाने की विवशता की बात कही गई है। )

93.  ' रीते ' शब्द में भाव है
क.  अपनेपन का
ख.  परायेपन का
ग.  खालीपन का
घ.  खोखलेपन का
उत्तर - ग ( रीता या रीते का अर्थ खाली होता है, जिसे खालीपन भी कहा जा सकता है। )


94.  कविता की पंक्तियों के आधार पर कहा जा सकता है कि
क.  कवि कुछ भी कहने या सुन पाने की स्थिति में नहीं है
ख.  कवि घावों के गहरे होने से दुखी है
ग.  कवि के जीवन में बहुत अभाव है
घ.  कवि कुछ भी करने की स्थित में नहीं है
उत्तर - ख  ( कवि घावों के गहरे होने से दुखी है। )

95.  ' ड्योढ़ी ' का अर्थ है
क.  घर
ख.  देहरी
ग.  दरवाजा
घ.  चौखट
उत्तर - ग  ( ' ड्योढ़ी ' का अर्थ दी गई पंक्तियों के अनुसार ' दरवाजा ' है। )


96.  ' भीतर के घाव ' से तात्पर्य है
क.  शारीरिक क्षति
ख.  घर के भीतर की अशान्ति
ग.  हृदय की पीड़ा
घ.  अन्दरूनी चोट
उत्तर - ग  ( भीतर के घाव से तात्पर्य ' हृदय की पीड़ा ' है। )
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