Hindi Class 7 सन्धि भाग 1


सन्धि का शाब्दिक अर्थ है मेल। व्याकरण में जब दो वर्ण आपस में मिलते हैं तो वह एक नया रूप धारण कर लेते हैं इस मेल को सन्धि कहते है।
         अर्थात् दो वर्णों के मेल को सन्धि कहते है।
जैसे- महा + ईश = महेश, हरि + ईश = हरीश आदि।

               सन्धि के प्रकार
1.स्वर सन्धि
2.व्यंजन सन्धि
3.विसर्ग सन्धि

1.स्वर सन्धि- जब दो स्वर के आपस में मिलने से जो रूप परिवर्तन होता है उसे स्वर सन्धि कहते है। स्वर संधि में स्वरों का आपसी मेल होता है।
जैसे- विधा + आलय = विधालय ,

        रमा   + ईश     = रमेश    आदि।
स्वर संधि पांच प्रकार की होती है।
1.दीर्घ संधि
2.गुण संधि 
3.वृद्धि संधि
4.यण संधि
5.अयादि संधि

1. दीर्घ संधि-
नियम (1) - जब दीर्घके बाद दीर्घआये तो दोनों के स्थान पर दीर्घहो जाता है ।
उदाहरण -
+ = आ जैसे- अध + अपि =अधापि
+ = आ जैसे- हिम + आच्छादित = हिमाच्छादित
+ = आ जैसे- विधा + अर्थी = विधार्थी
+ = आ जैसे- विधा + आलय = विधालय
नियम (2) - जब दीर्धके बाद दीर्धआये तो दोनों के स्थान पर दीर्धहो जाता है।

उदाहरण -
+ = ई जैसे- गिरि + इन्र्द = गिरीन्र्द
+ = ई जैसे- गिरि + ईश = गिरीश
+ = ई जैसे- मही + इन्द्र = महीन्र्द
+ = ई जैसे- नदी + ईश = नदीश
नियम (3) - जब दीर्घके बाद दीर्धआये तो दोनों के स्थान पर दीर्धहो जाता है।
उदाहरण -
+ = ऊ जैसे- भानु + उदय = भानुदय
+ = ऊ जैसे- लधु + ऊर्मि = लधुर्मि
+ = ऊ जैसे- वधू + उत्सव = वधुत्सव


2. गुण सन्धि-
नियम(1)- जबयाके बादया’  आये तो दोनों के स्थान परयाहो जाता है।
उदाहरण-
+ = ए जैसे- भारत + इन्दु = भारतेन्दु
+ = ऐ जैसे- गण + ईश = गणेश
+ = ए जैसे- महा + इन्द्र = महेन्द्र
+ = ऐ जैसे- रमा + ईश = रमेश
नियम(2)- जबयाके बादयाआये तो दोनों के स्थान परहो जाता है।
उदाहरण-
+ = ओ जैसे- चन्द्र + उदय = चन्द्रोदय
+ = ओ जैसे- गंगा + ऊर्मि = गंगोर्मि
नियम(3)- जबयाके बादआये तो दोनों के स्थान परअर्हो जाता हैं।

उदाहरण-
+ = अर् जैसे- देव + ऋर्षि = देवर्षि
+ = अर् जैसे- महा + ऋर्षि = महर्षि

3.वृद्धि संधि-
नियम(1)- जबयाके बादयाआये तो दोनों स्थान परहो जाता है।
उदाहरण-
+ = ऐ जैसे- तत्र + एव = तत्रैव
+ = ऐ जैसे- महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य
नियम(2)- जबयाके बादआये तो दोनों स्थान परहो जाता है।
उदाहरण-
+ = औ जैसे- वन + औषधि = वनौषधि
+ = औ जैसे- महान + औज = महौज

4.यण संधि-जब इ, , , ऊ तथा ऋ के बाद कोई भिन्न तथा विजातिय स्वर आता है तो इ, ई काय्’ , , ऊ काव्तथाकी जगहर्हो जाता है।
उदाहरण-
+ = य् जैसे- यदि + अपि = यद्यपि
+ = य जैसे - अति + उत्तम = अत्युतम
+ = य जैसे- नदी + अर्पण = नद् यर्पण


 +  = व जैसेमनु + अंतर = मन्वंतर
 +  = व जैसेअनु + एषण = अन्वेषण
 +  = र् जैसेमातृ + आनन्द = मात्रानन्द
5.अयादि सन्धि- जब ए, , , औ के बाद कोई अन्य स्वर आये तो इनके स्थान पर  क्रमशः अय्, आय्, अव्, आव् हो जाता है।
उदाहरण-
+ = अय् जैसे- ने + अन = नयन

 +  = आय् जैसेनै + अक = नायक

 +  = अव् जैसेपो + अन = पवन
+ = आव् जैसे- पौ + अन = पावन
सन्धि भाग 2
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