CTET Class 12- सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन -
     सतत् का अर्थ है लगातार अर्थात् निरंतर । स्पष्ट है कि छात्रों कीवृद्धि व विकासका मूल्यांकन एक निरंतर प्रक्रिया है । जिसमें संपूर्ण शैक्षिक सत्र में अधिगम प्रक्रिया का मूल्यांकन किया जाता है।
     व्यापक का अर्थ है , शैक्षणिक कार्यों द्वारा छात्रों की वृद्धि और विकास को परखने की प्रक्रिया।

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन की विशेषताएं -
        यह विद्यार्थियों की शिक्षण प्रक्रिया में लगातार चलने वाली प्रक्रिया है जिसमें उनके विकास का निरीक्षण किया जाता है।
        शैक्षिक पहलुओं में पाठ्यक्रम एवं विषय क्षेत्र शामिल होते हैं ,जबकि सह-शैक्षिक पहलुओं में पाठ्यचर्या अभिवृत्ति एवं जीवन कौशल से संबंधित मूल्य सम्मिलित होते हैं ।
        शैक्षिक क्षेत्रों में निर्धारण औपचारिक व अनौपचारिक दोनों तरीके से किया जाता है ।

        सह-शैक्षिक क्षेत्रों का निर्धारण विभिन्न तकनीकों द्वारा किया जाता है , जैसे- जीवन कौशलों का निर्धारण जांच सूचियों के आधार पर किया जाता है ।
        राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 1992 के संसोधन में मूल्यांकन के लिए शैक्षिक व सतत् शैक्षिक दोनों शिक्षण अनुभव को शामिल करने की बात कही गई है ।

सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के कार्य एवं महत्व-
        शिक्षकों को विभिन्न कार्यनीतियां आयोजित करने में सहायता प्रदान करता है ।
        सतत् मूल्यांकन द्वारा विद्यार्थी की प्रगति, योग्यता व उपलब्धि आँकी जाती हैं ।

        सतत् मूल्यांकन द्वारा अध्यापक भिन्न-भिन्न शिक्षार्थियों की शक्तियों व कमजोरियों का पता लगाने में सहायक होता है ।
        सतत् मूल्यांकन द्वारा बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने उनकी गलतियों को सुधारने और बच्चों को एक निश्चित दिशा प्रदान करने का कार्य किया जाता है।
        सतत् मूल्यांकन द्वारा अभिभावक को उनके बच्चों के प्रदर्शन व उपलब्धि के बारे में जागरूक बनाने का कार्य किया जाता है ।


सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के साधन विधियाँ-

निरीक्षण -
        तथ्यों की पुष्टि के लिए निरीक्षण का सहारा लिया जाता है ।
        इस विधि द्वारा कठिन समस्याओं का समाधान भी सरलतापूर्वक हो जाता है।
        निरीक्षण विधि में अध्यापक प्रत्यक्ष रुप से भाग लेता है ,इसीलिए अध्ययन भी सावधानीपूर्वक होता है ।

प्रश्नावली -
        बच्चों का मूल्यांकन प्रश्नों की सुनियोजित सूची द्वारा किया जाता है ।

        प्रश्नावली उत्तरदाता द्वारा उत्तर प्राप्त करने का साधन है ।
        0 से 6 वर्ष के बच्चों से चित्रों के माध्यम से प्रश्न पूछे जाते हैं ।

साक्षात्कार -
        साक्षात्कार मौखिक एवं लिखित दोनों प्रकार की सूचनाएं प्राप्त करने का माध्यम है ।
        साक्षात्कार में प्रश्न दैनिक जीवन से संबंधित होते हैं ,इसीलिए विद्यार्थियों को ज्ञात भी नहीं हो पाता है कि उनका मूल्यांकन किया जा रहा है ।

जांचसूची -
        भाषा के प्रयोग ,खेल के दौरान व्यवहार, संवेगात्मक विकास ,सामाजिकता आदि का मूल्यांकन अध्यापक जांच सूची द्वारा करते हैं ।


विवरण -
        शिक्षार्थियों के बेहतरीन कार्य को दिन प्रतिदिन कागजों पर अंकित कर एक नमूना तैयार किया जाता है ,जिसे विवरण कहते हैं ।

        विवरण से विद्यार्थियों के कौशलों का रिकॉर्ड संचित हो जाता है ।
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