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आनुवंशिकता और पर्यावरण का प्रभाव
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आनुवंशिकता और पर्यावरण का प्रभाव
बाल विकास के अवरोधक
-वंशानुगत कारक, शारीरिक कारक, बुध्दि, संवेगात्मक कारक, सामाजिक कारक इत्यादि
बाल विकास को प्रभावित करने वाले आंतरिक कारक हैं l
-सामाजिक आर्थिक एवं वातावरण जन्य अन्य कारक बालक के विकास को प्रभावित करने
वाले बाह्य कारक हैं l
-मानव व्यक्तित्व आनुवंशिकता और वातावरण की अंतः क्रिया का परिणाम होता है।
आनुवांशिकता का स्वरूप तथा अवधारणा
-आनुवांशिक गुणों का एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरण होने की प्रक्रिया को अनुवांशिकता या वंशानुक्रम कहा जाता है l
-अनुवांशिकता को स्थिर सामाजिक संरचना माना जाता है l
-एक व्यक्ति के वंशानुक्रम में वह सब शारीरिक बनावटे, शारीरिक विशेषताएं, क्रियाएं सम्मिलित रहती हैं, जिनको वह अपने माता पिता, अपने पूर्वजों या प्रजाति से प्राप्त करता है l
-अनुवांशिकता का मूलाधार कोशिका है, जिस प्रकार एक-एक ईट को चुन कर इमारत बनती है, ठीक उसी प्रकार कोशिकाओं के द्वारा मानव शरीर का निर्माण होता है l
आनुवंशिकता का
प्रभाव
1.शारीरिक लक्षणों पर प्रभाव- बालक के रंग-रूप, आकार, शारीरिक गठन, ऊंचाई इत्यादि के निर्धारण में उसके आनुवांशिक गुणों का महत्वपूर्ण हाथ होता
है ।
● माता के गर्भ में निषेचित युग्मनज (जाइगोट) मिलकर क्रोमोसोम्स के विविध संयोजन (combinations) बनाते हैं । इस प्रकार एक ही माता-पिता के प्रत्येक बच्चे से विभिन्न जींस बच्चे में अपने अथवा रक्त संबंधियों के साथ अन्य से अधिक समानताएं होती है ।
है ।
● माता के गर्भ में निषेचित युग्मनज (जाइगोट) मिलकर क्रोमोसोम्स के विविध संयोजन (combinations) बनाते हैं । इस प्रकार एक ही माता-पिता के प्रत्येक बच्चे से विभिन्न जींस बच्चे में अपने अथवा रक्त संबंधियों के साथ अन्य से अधिक समानताएं होती है ।
● अनुवांशिक
संचारण (Transmission) एक अत्यंत
जटिल प्रक्रिया
है । मनुष्यों
में हमें
दृष्टिगोचर होने
वाले अधिकांश
अभिलक्षण असंख्य
जीन्स का
संयोजन होता
है । जिन्स
के असंख्य
परिवर्तन (permutation) और संयोजन
(combinations) शारीरिक और
मनोवैज्ञानिक अभिलक्षणों
में अत्यधिक
विभेदों के
लिए जिम्मेदार
होते है
।
● केवल
समान या
मोनोजाइगोटिक ट्विन्स
में एकसमान
सेट के
गुणसूत्र और
जीन्स होते
है, क्योंकि वे
एक ही
युग्मनज के
द्विगुणन से
बनते है
।
● अधिकांश जुड़वा भ्रातृवत्त अथवा द्वि युग्मक होते हैं जो दो प्रथम युग्मजों से विकसित होते है । यह भाइयों जैसे जुड़वाँ भाइयों और बहनों की तरह मिलते-जुलते होते
हैं , परंतु वे
अनेक प्रकार
से परस्पर
एक दूसरे
से भिन्न
में भी
होते हैं
।
● बालक
के अनुवांशिक
गुण उसकी
वृद्धि एवं
विकास को
भी प्रभावित
करते है
।
जेम्स
ड्रेवर- “ शारीरिक तथा मानसिक विशेषताओं का माता पिता से संतानों में हस्तान्तरण होना अनुवांशिक है।”
बी•एन•झा- “वंशानुक्रम
व्यक्ति की जन्मजात विशेषताओं का पूर्ण योग है।”
बुद्धि पर प्रभाव-
जिस बालक के सीखने की गति अधिक होती है, उसका मानसिक विकास भी तीव्र गति से होता है। बालक अपने परिवार, समाज व विद्यालय में अपने आप को किस तरह समायोजित करता है, वह उसकी बुद्धि पर निर्भर करता है । गोडार्ड
का मत
है कि
मंदबुद्धि माता-पिता
की संतान
भी मंद-बुद्धि
और तीव्र
बुद्धि माता-पिता
की
संतान तीव्र बुद्धि वाली होती है । मानसिक क्षमता के अनुकूल एक ही बालक में संवेगात्मक क्षमता का विकास होता है।
चरित्र पर प्रभाव- डगडेल नामक मनोवैज्ञानिक ने अपनी रहन सहन के आधार पर यह बताया है कि माता-पिता के चरित्र का प्रभाव भी उसके बच्चे पर पड़ता है । डगडेल ने 1877 ई. में ज्यूक नामक व्यक्ति के वंशजों का अध्ययन करके यह बात सिध्द की ।
चरित्र पर प्रभाव- डगडेल नामक मनोवैज्ञानिक ने अपनी रहन सहन के आधार पर यह बताया है कि माता-पिता के चरित्र का प्रभाव भी उसके बच्चे पर पड़ता है । डगडेल ने 1877 ई. में ज्यूक नामक व्यक्ति के वंशजों का अध्ययन करके यह बात सिध्द की ।
वातावरण का अर्थ
वातावरण का अर्थ है- पर्यावरण
। पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है परि
एवं आवरण
। परि
का अर्थ होता है - चारों ओर
तथा आवरण
का अर्थ होता है - ढकना
। इस प्रकार वातावरण अथवा पर्यावरण का अर्थ होता है - चारों ओर घेरने वाला
। मानव विकास में जितना योगदान अनुवांशिकता का है , उतना
ही योगदान वातावरण का भी है । इसलिए कुछ मनोवैज्ञानिक वातावरण को सामाजिक वंशानुक्रम भी कहते है । वुडवर्थ
के अनुसार , “वातावरण
में वे समस्त बाह्य तत्व आ जाते हैं जिन्होंने जीवन प्रारंभ करने के समय से व्यक्ति को प्रभावित किया है” ।
बोरिंग
लैगफील्ड एवं वेल्ड
के अनुसार, “व्यक्ति
का वातावरण उन सभी उत्तेजनाओं का योग है, जिनको वह जन्म से मृत्यु तक ग्रहण करता है ।
अनुवांशिकता एवं
वातावरण के बाल
विकास पर प्रभावो
के शैक्षिक महत्व
अनुवंशिकता की भूमिका को समझना बहुत महत्वपूर्ण है और इससे भी अधिक लाभकारी है कि हम समझे की परिवेश में कैसे सुधार किया जा सकता है ? ताकि
बच्चे की अनुवांशिकता द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर सर्वोत्तम संभावित विकास के लिए सहायता की जा सके ।
● बालक
के संपूर्ण
व्यवहार की
सृष्टि, वंशानुक्रम और
वातावरण की
अंतः क्रिया
द्वारा होती
है । शिक्षा
की किसी
भी योजना
में वंशानुक्रम
और वातावरण
को एक-दूसरे
से पृथक
नहीं किया
जा सकता
है ।
● वातावरण
से व्यक्ति
शरीर का
आकार-प्रकार प्राप्त
करता है
।वातावरण शरीर
को पुष्ट
करता है।
● विद्यालयों
में कई
प्रकार की
अनुशासनहीनता दिखाई
पड़ती है
। कई
बार इनके
लिए परिवार
का परिवेश
ही नहीं
बल्कि काफी
हद तक
वंशानुक्रम भी
जिम्मेदार होता
है । जैसे-
चोरी करना, झूठ बोलना आदि । अवगुणों के विकास में बालक के परिवार एवं उसके वंशानुक्रम की भूमिका अहम होती है ।
● बालक की रुचियाँ, प्रवत्तियाँ तथा अभिवृत्ति आदि के विकास के लिए भी वातावरण अधिक
जिम्मेदार होता
है, लेकिन वातावरण
के साथ
यदि वंशानुक्रम
भी ठीक
है तो
इसको सार्थक
दिशा मिल
सकती
हम सहृदय धन्यवाद देते है प्रियंका को यह अतिमहत्वपूर्ण नोट्स प्रदान करने के लिए।
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CTET Class 3 आनुवंशिकता और पर्यावरण का प्रभाव
Reviewed by BasicKaMaster
on
14:31:00
Rating:
Very good
ReplyDeleteNice information some more point should be included.
ReplyDeleteImportant information
ReplyDeleteKti Zhrrrrrr 🔫🔫
ReplyDeleteMns Vry well in4msn provds
Thnqqq 100mch